हिन्दी साहित्य- सीमांचल | कल्पना की उड़ान



NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 1 - धूल स्पर्श भाग-1 हिंदी 

रामविलास शर्मा

पृष्ठ संख्या: 10

प्रश्न अभ्यास

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −

1. हीरे के प्रेमी उसे किस रुप में पसंद करते हैं?

उत्तर

हीरे के प्रेमी उसे साफ़ सुथरा, खरादा  हुआ, आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करते हैं।

2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

उत्तर

लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी में लेटने, मलने के सुख को दुर्लभ माना है क्योंकि यह मिट्टी तेल और मट्ठे से सिझाई जाती है। इससे देवता पर भी चढ़ाया जाता है।

3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?

उत्तर

मिटटी की आभा धूल है। मिटटी की पहचान उसके धूल से होती है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −

1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?

उत्तर

धूल का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी शिशु धूल से सनकर विविध खेल खेलता है। यह धूल जब शिशु के मुख पर पड़ती है तो उसकी स्वाभाविक सुंदरता निखार जाती है।। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।

2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

उत्तर

हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उनमें हीन भावना है। वे इसे सुंदरता के लिए खतरा मानते हैं। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे इमारतों  रहते हैं ताकि वे धूल से बचें रहें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं। वह हीरों का प्रेमी है धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानते।

3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?

उत्तर 

अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन्न है । इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। इसे देवता पर चढ़ाया जाता है। पहलवान को अखाड़े की मिट्टी ही विश्वविजयी बनाती है।

4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?

उत्तर 

श्रद्धा विश्वास का, भक्ति ह्रदय की भावनाओं का और स्नेह प्यार के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते है, योद्धा धूल को आखों से लगाकर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, की व्यंजना के लिये धूल सर्वोत्तम साधन है।

5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर

नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता से दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय सभ्यता पर व्यंग्य किया है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −

1. लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?

उत्तर

लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।

2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

उत्तर 

धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चांदनी में। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।

3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?

उत्तर

ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है।शिशु के मुख पर धूल फूल की पंखुड़ियों के समान सुंदर लगती है । उसकी सुंदरता को निखारती है। सांयकाल गोधूलि के उड़ने की सुंदरता का चित्र ग्रामीण परिवेश में प्रस्तुत करती है जोकि शहरों के हिस्से नहीं पड़ती ।

4. "हीरा वही घन चोट न टूटे"- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

"हीरा वही घन चोट न टूटे"- का अर्थ है असली हीरा वही है जो हथोड़े की चोट से भी न टूटे और अटूट होने का प्रमाण दे। इसी तरह ग्रामीण लोग हीरे के समान होते हैं मजबूत और सुदृढ़। वे कठिनाइयों से नहीं घबराते।

5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

धूल यथार्थवादी गद्य है तो धूलि उसकी कविता। धूली छायावादी दर्शन है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। गोधूलि गायों एवं ग्वालों के पैरों से सायंकाल में उड़ने वाली धूलि है जो गाँव के जीवन की अपनी संपत्ति है।

6. "धूल" पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

लेखक ने पाठ "धूल" में धूल का महत्त्व स्पष्ट किया है कि धूल से ही हमारा शरीर बना है परंतु आज का नगरीय जीवन इससे दूर रहना चाहता है जबकि ग्रामीण सभ्यता का वास्तविक सौंदर्य  "धूल" ही है।

7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तर

लेखक से पुस्तक विक्रेता के निमंत्रण पत्र में गोधूलि वेला में आने का आग्रह किया गया तो उसने इसे कविता की विडंबना माना क्योंकि कवियों ने गोधूलि की महिमा बताई है परन्तु यह गोधूलि गायों ग्वालों के पैरो से उड़ती ग्राम की धूलि थी शहरी लोग इसकी सुंदरता और महत्ता को कहाँ समझ पाते हैं। इसका अनुभव तो गाँव में रहकर ही किया जा सकता है। यहाँ तक कि कविता के पास भी इसके महत्व के बयान की क्षमता नहीं होती।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −

1. फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक 'स्पर्श' से ली गयी हैं जिसके लेखक रामविलास शर्मा जी हैं। इस कथन का आशय यह है कि जिस तरह फूल के ऊपर धूल आ जाने से वह उसकी सज्जों सज्जा को बढाती है उसी प्रकार शिशु के मुख पर धूल उसकी सुंदरता को ओर भी निखार देती है।

2. 'धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की' − लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर

यहाँ लेखक बता रहे हैं की वह नर धन्यवाद के पात्र हैं जो धूरि भरे शिशुओं को गोद में उठाकर गले से लगा लेते हैं । बच्चों के साथ उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। लेखक को 'मैले' शब्द में हीनता का बोध होता है क्योंकि वह धूल को मैल नहीं मानते। 'ऐसे लरिकान' में भेदबुद्धी नज़र आती है।

3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।

उत्तर

लेखक मिट्टी और धूल में अंतर की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। जैसे चाँद के बिना चाँदनी नहीं होती, देह के बिना प्राण नहीं होते। यदि शब्द न हो तो लेख या कविता में रस कहाँ से आएगा। उसी तरह मिट्टी के रंग रुप की पहचान धूल से ही होती है।

4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।

उत्तर

लेखक का इस वाक्य से आशय है की जिस धूल को वीर योद्धा अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, धूल मस्तक पर लगाते हैं, किसान धूल में ही सन कर काम करता है उस धूल से बचने की कोशिश की जाती है। नगरीय लोग इसे तुच्छ समझते हैं। चाहे वह देश की धूल को माथे से न भी लगाए परंतु उसकी वास्तविकता से परिचित हो।

5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

उत्तर

यहां कांच की तुलना नगरीय सभ्यता से तथा हीरे की तुलना ग्रामीण सभ्यता से की गयी है। हीरा बहुत मजबूत होता है और कांच एक चोट से टूट जाता है और बिखर कर दूसरों को भी चोट पहुँचाता है। हीरा हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता ये बात दोनों के परीक्षण के बाद ही पता लगती है। हीरा काँच को काटता है। उसी तरह ग्रामीण, हीरे की तरह मजबूत और सुदृढ़ होते हैं। वे उलटकर वार भी कर सकते हैं। समय का हथौड़ा इस सच्चाई को सामने लाता है।

भाषा अध्यन 

1. निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिए-

उदाहरण: विज्ञपित − वि (उपसर्ग) ज्ञापित

संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।

उत्तर

उदाहरण: विज्ञपित − वि (उपसर्ग) ज्ञापित

| | |उपसर्ग |शब्द |

|1 |संसर्ग |सम |सर्ग |

|2 |उपमान |उप |मान |

|3 |संस्कृति |सम् |स्कृति |

|4 |दुर्लभ |दुर् |लभ |

|5 |निर्द्वंद |निर् |द्वंद्व |

|6 |प्रवास |प्र |वास |

|7 |दुर्भाग्य |दुर् |भाग्य |

|8 |अभिजात |अभि |जात |

|8 |संचालन |सम् |चालन |

2.  लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं।

धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर

1. धूल चटाना − भारतीय सेना ने दुश्मन सेना को धूल चटा दी।

2. धूल फाँकना − वह बाजार में सारा दिन धूल फाँकता रहा ।

3. धूल उड़ाना − उसकी सारी मेहनत धूल में उड़ गई।

4. धूल में मिलना − उन लोगों ने बहुत मेहनत से सजावट की पर एक आँधी के झोंके से सब धूल में मिल गया।

5. धूल धुसरित − धूल धुसरित बालक सुंदर लगता है।

पाठ का सार

इस लेख में लेखक ने धूल की जीवन में महत्ता को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। लेखक ने धूल भरे शिशुओं को धूल भरे हीरे कहकर संबोधित किया है। धूल के बिना शिशुओं की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारी सभ्यता धूल के संसर्ग से बचना चाहती है। लेखक आगे कहता है कि जो बचपन में धूल से खेला है , वह जवानी में अखाड़े की मिट्टी में सनने से कैसे वंचित रह सकता है? जितने सारतत्त्व जीवन के लिए अनिवार्य हैं, वे सब मिट्टी से ही मिलते हैं। ग्राम भाषाओं में हमने गोधूलि शब्द को अमर कर दिया है। गोधूलि पर कितने कवियों ने अपनी कलम नहीं तोड़ दी , लेकिन यह गोधूलि गाँव की अपनी संपत्ति है , जो शहरों के बाँटे नहीं पड़ी। श्रद्धा, भक्ति, स्नेह इनकी चरम व्यंजना के लिए धूल से बढ़कर और कौन साधन है? यहाँ तक कि घृणा, असूया आदि के लिए भी धूल चाटने , धूल झाड़ने आदि की क्रियाएँ प्रचलित हैं ।धूल, धूलि, धूली, धूरि आदि की व्यंजनाएँ अलग-अलग हैं। धूल जीवन का यथार्थवादी गद्य, धूलि उसकी कविता है। धूली छायावादी दर्शन है ,जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। इन सबका रंग एक ही है, रूप में भिन्नता जो भी हो। ये धूल भरे हीरे अमर हैं।

लेखक परिचय

रामविलास शर्मा

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में सन 1912 में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा इन्होने गाँव में ही पायी तथा उच्चा शिक्षा के लिए लखनऊ आ गए, वहां से अंग्रेजी में एम.ए. करने के बाद विश्वविधालय में प्राध्यापक और पीएच डी की डिग्री हासिल की। लेखन के क्षेत्र में पहले-पहले कविताएँ लिखकर फिर एक उपन्यास और नाटक लिखने के बाद पूरी तरह से आलोचना कार्य में जुट गए।

प्रमुख कार्य

कृतियाँ - भारतेंदु और उनका युग , महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण , प्रेमचंद और उनका युग , निराला की साहित्य साधना , भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी , भाषा और समाज , भारत में अंग्रेज़ी राज्य और मार्क्सवाद , इतिहास दर्शन , भारतीय संस्कॄति और हिंदी प्रदेश , गाँधी , अंबेडकर , लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएँ , बुद्ध वैराग्य और प्रारंभिक कविताएँ , सदियों के सोए जाग उठे(कविता) , पाप के पुजारी (नाटक) , चार दिन (उपन्यास) और अपनी धरती अपने लोग (आत्मकथा)।

पुरस्कार - साहित्य अकादमी , व्यास सम्मान , शलाका सम्मान आदि।

कठिन शब्दों के अर्थ

• खरादा हुआ - सुडौल और चिकना बनाया हुआ।

• रेणु – धूल

• पार्थिवता – पृथ्वी से संबंधित

• अभिजात - कुलीन

• संसर्ग – संपर्क

• कनिया – गोद

• लरिकान – बच्चे

• नौबत – हालत

• असारता – सार रहित

• विडंबना – विसंगति

• बांटे – हिस्से

• असूया – ईर्ष्या

NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 2 - दुःख का अधिकार स्पर्श भाग-1हिंदी

यशपाल

पृष्ठ संख्या: 17 

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक-दो  पंक्तियों में दीजिए -

1. किसी पोशाक देखकर हमें क्या पता चलता है?

उत्तर 

किसी की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसके अधिकार और दर्जे का पता चलता है। 

2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े क्यों नही खरीद रहा था?

उत्तर

ख़रबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े इसलिए नही खरीद रहा था क्योंकि वह मुँह छिपाए सिर को घुटनो पर रख फफक-फफककर रो रही थी। 

3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

उत्तर 

उस स्त्री को देखकर लेखक लेखक के मन में एक व्यथा सी उठी और वो उसके रोने का कारण जानने का उपाय सोचने लगा। 

4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर 

उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में पके खरबूज चुनते समय साँप के काटने से हुई ।

5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नही देता? 

उत्तर 

 बुढ़िया के परिवार में एकमात्र कमाने वाला बेटा मर गया था। ऐसे में पैसे वापस न मिलने के डर के कारण कोई उसे उधार नही देता। 

लिखित 

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

उत्तर

मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी, उतने अधिक लोग प्रभावित होगें।

2. पोशाक हमारे हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

उत्तर

पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।

3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नही जान पाया?

उत्तर

लेखक की पोशाक रोने का कारण जान पाने की बीच अड़चन थी। वह फुटपाथ पर बैठकर उससे पूछ नही सकता था। इससे उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती। इस वजह से वह उस स्त्री के रोने का कारण नही जान पाया। 

4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

उत्तर 

भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था। 

5. लड़के के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?

उत्तर 

बुढ़िया बहुत गरीब थी। लड़के की मृत्यु पर घर में जो कुछ था सब कुछ खर्च हो गया। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।

6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

उत्तर

लेखक को बुढ़िया के दुःख को देखकर अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उसके बेटे का भी देहांत हुआ था। वह दोनों के दुखों के तुलना करना चाहता था। दोनों के शोक मानाने का ढंग अलग था। धनी परिवार के होने की वजह से वह उसके पास शोक मनाने को असीमित समय था और बुढ़िया के पास शोक का अधिकार नही था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

1. बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

बाज़ार के लोग खरबूज़ेबेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला लाला कह रहा था, इनके लिए अगर मरने-जीने का कोई मतलब नही है तो दुसरो का धर्म ईमान क्यों ख़राब कर रही है।

2. पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

उत्तर

पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा सांप के काटने से मर गया है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके घर का सारा सामान बेटे को बचाने में खर्च हो गया। घर में दो पोते भूख से बिलख रहे थे। इसलिए वो खरबूजे बेचने बाजार आई है।

3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या- क्या उपाय किए ?

उत्तर

लड़के के मृत्यु होने पर बुढ़िया पागल सी हो गयी। वह जो कर सकती थी उसने किया। वह ओझा को बुला लायी झाड़ना-फूंकना हुआ। नागदेवता की पूजा भी हुई। घर में जितना अनाज था दान दक्षिणा में समाप्त हो गया। परन्तु उसका बेटा बच न सका।

4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?

उत्तर

लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी।

5. इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।

पृष्ठ संख्या: 18

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -

1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

उत्तर

यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार पतंग के कट जाने पर वायु की लहरें उसे कुछ समय के लिए उड़ाती रहती हैं, एकाएक धरती से टकराने नही देतीं ठीक उसी प्रकार किन्हीं ख़ास परिस्थतियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रोकती हैं।

2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

उत्तर

इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है। गरीबों को कमाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता है । परन्तु लोग कहते हैं उनके लिए रिश्ते-नाते कोई मायने नही रखते हैं। वे सिर्फ पैसों के गुलाम होते हैं। रोटी कमाना उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है।

3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।

उत्तर

शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।

भाषा अध्यन

2. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −

|ईमान | |

|बदन | |

|अंदाज़ा | |

|बेचैनी | |

|गम | |

|दर्ज़ा | |

|ज़मीन | |

|ज़माना | |

|बरकत | |

उत्तर 

|ईमान |ज़मीर, विवेक |

|बदन |शरीर, तन, देह |

|अंदाज़ा |अनुमान |

|बेचैनी |व्याकुलता, अधीरता |

|गम |दुख, कष्ट, तकलीफ |

|दर्ज़ा |स्तर, कक्षा |

|ज़मीन |धरती, भूमि, धरा |

|ज़माना |संसार, जग, दुनिया |

|बरकत |वृद्धि, बढ़ना |

पृष्ठ संख्या: 19

3. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए -

उत्तर

|फफक |फफककर |

|दुअन्नी |चवन्नी |

|ईमान |धर्म |

|आते |जाते |

|छन्नी |ककना |

|पास |पड़ोस |

|झाड़ना |फूँकना |

|पोता |पोती |

|दान |दक्षिणा |

|मुँह |अँधेरे |

4. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए −

बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।

उत्तर

1. बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।

2. निर्वाह करना − परिवार का भरण-पोषण करना

3. भूख से बिलबिलाना − बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)

4. कोई चारा न होना − कोई और उपाय न होना

5. शोक से द्रवित हो जाना − दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।

5. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −

|(क) |छन्नी-ककना |अढ़ाई-मास |पास-पड़ोस |

| |दुअन्नी-चवन्नी |मुँह-अँधेरे |झाड़ना-फूँकना |

|(ख) |फफक-फफककर |बिलख-बिलखकर |

| |तड़प-तड़पकर |लिपट-लिपटकर |

उत्तर

(क)

1. छन्नी-ककना − मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।

2. अढ़ाई-मास − वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।

3. पास-पड़ोस − पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।

4. दुअन्नी-चवन्नी − आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।

5. मुँह-अँधेरे − वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।

6. झाड़-फूँकना − गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।

(ख)

1. फफक-फफककर − बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।

2. तड़प-तड़पकर − आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।

3. बिलख-बिलखकर − बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।

4. लिपट-लिपटकर − बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।

6. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :

|(क) |1 |लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे। |

| |2 |उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा। |

| |3 |चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। |

|(ख) |1 |अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है। |

| |2 |भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। |

उत्तर

(क)

|1 |लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे। |

| |बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थे। |

|2 |उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा। |

| |बच्चों के लिए खिलौने लाने ही होंगे। |

|3 |चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। |

| |उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ ही क्यों न बिक जाए। |

(ख)

|1 |अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है। |

| |जैसा दूसरों के लिए करोगे वैसा ही फल पाओगे। |

|2 |भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। |

| |जो समय निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा। |

पाठ का सार

लेखक ने कहा है कि मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक की समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। हम जब झुककर निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं तो यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। बाज़ार में खरबूजे बेचने आई एक औरत कपड़े में मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी। पड़ोस के लोग उसे घृणा की नज़रों से देखते हैं और उसे बुरा-भला कहते हैं। पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता चलता है कि उसका तेईस बरस का लड़का परसों सुबह साँप के डसने से मर गया था। जो कुछ घर में था , सब उसे विदा करने में चला गया था। घर में उसकी बहू और पोते भूख से बिल-बिला रहे थे। इसलिए वह बेबस होकर खरबूज़े बेचने आई थी ताकि उन्हें कुछ खिला सके ; परंतु सब उसकी निंदा कर रहे थे , इसलिए वह रो रही थी। लेखक ने उसके दुख की तुलना अपने पड़ोस के एक संभ्रांत महिला के दुख से करने लगता है जिसके दुख से शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे। लेखक सोचता चला जा रहा था कि शोक करने, ग़म मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।

लेखक परिचय

यशपाल

इनका जन्म फ़िरोज़पुर छावनी में सन 1903 में हुआ। इन्होंने आरंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में और उच्च शिक्षा लाहौर में पाई। वे विद्यार्थी काल से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में जुट गए थे। अमर शहीद भगत सिंह आदि के साथ मिलकर इन्होंने भारतीय आंदोलन में भाग लिया। सन 1976 में इनका देहांत ही गया।

प्रमुख कार्य

कृतियाँ - देशद्रोही , पार्टी कामरेड , दादा कामरेड , झूठा सच तथा मेरी, तेरी, उसकी बात (उपन्यास) ; ज्ञानदान , तर्क का तूफ़ान , पिंजड़े की उड़ान , फूलों का कुर्ता , उत्तराधिकारी (कहानी संग्रह) और सिंहावलोकन (आत्मकथा)।

पुरस्कार - ‘मेरी,तेरी,उसकी बात’ पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

कठिन शब्दों के अर्थ

• अनुभूति – एहसास

• अधेड़ – ढलती उम्र का 

• व्यथा – पीड़ा

• व्यवधान – रुकावत

• बेहया – बेशर्म

• नीयत – इरादा

• बरकत – वृद्धि

• ख़सम – पति 

• लुगाई – पत्नी

• सूतक – छूत

• कछियारी – खेतों में तरकारियाँ बोना

• निर्वाह – गुज़ारा

• मेड़ – खेत के चारों ओर मिट्टी का घेरा

• तरावत – गीलापन

• ओझा – झाड़-फूँक करने वाला 

• छन्नी-ककना – मामूली गहना

• सहूलियत - सुविधा

NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 - एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा स्पर्श भाग-1 हिंदी

बचेंद्री पाल

पृष्ठ संख्या: 31

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -

1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?

उत्तर 

अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहा था। 

2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?

उत्तर

लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है और यह एक फूल की तरह दिखाई देता है, जैसे माथा हो।

3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?

उत्तर

लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत शिखर पर लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा।

4. हिमस्खलन से कितने लोगो की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए?

उत्तर

हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार लोग घायल हुए।

5. मृत्यु के अवसाद देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?

उत्तर

मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।

6.  सहायक की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर

जलवायु अनुकूल न होने के कारण रसोई सहायक की मृत्यु हुई।

7. कैंप- चार कहाँ और कब लगाया गया?

उत्तर

कैंप-चार 29 अप्रैल, 1984 को 7900 मीटर पर साउथ कोल में लगाया गया था।

8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?

उत्तर

लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।

9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?

उत्तर

लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, "मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा। "

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए -

1. नजदीक से एवेरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?

उत्तर

नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका भौंचक्की रही गई। वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

2. डॉ मीनू मेहता ने क्या जानकारियां दीं?

उत्तर

डॉ मीनू मेहता अल्मुनियम सीढ़ियों से अस्थाई पुलों का निर्माण, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और अग्रिम दाल के अभियांत्रिक कार्यो के बारे में जानकारी दी।

3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?

उत्तर

तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?

उत्तर

लेखिका को अपने दल तथा जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। परन्तु वे लोग पीछे रह गए थे। उनके पास भारी बोझ था और वे बिना ऑक्सीजन के आ रहे थे। इस कारण उनकी गति कम हो गई थी। उनकी स्थिति देखकर लेखिका चिंतित थी।

5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

उत्तर 

लोपसांगने अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया क्योंकि तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरने से हिमपुंज बन गया था और इससे कैंप नष्ट हो गया था, लेखिका भी उसमें दब गई थीं। इसलिए लोपसांग ने छुरी से बर्फ़ काटकर लेखिका को बाहर निकाला।

6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?

उत्तर

साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी करने के लिए खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए, दूसरे सदस्यों की मदद के लिए, थरमसों को जूस व गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नो का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

उत्तर

उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल के सदस्यों को पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दल ने कैंप-एक (6000 मीटर),जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है। इसके साथ-साथ बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना जारी है। यदि हिमपात अधिक हो गया तो अभी तक किए गए सारे काम व्यर्थ हो सकते हैं।

2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?

उत्तर

बर्फ़ के खंडो का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को हिमपात कहा जाता है। हिमपात बर्फ़ (ग्लेशियर) की नदी होती है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं।

3. लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया?

उत्तर

लेखिका रात 12.30 बजे अपने तम्बू में गहरी नींद में सो रही थीं तभी एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह अत्यंत तेज़ गति के साथ और गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।

4. लेखिका को देखकर 'की' हक्का-बक्का क्यों रह गया?

उत्तर

लेखिका को देखकर 'की' हक्का बक्का रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोखिम भरा था फिर भी लेखिका सबके लिए चाय व जूस लेने नीचे उतर रही थी और उसे 'की' से भी मिलना था।

5. एवेरेस्ट पर चढ़ने के लिए कितने कैंप बनाये गए? उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर

एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंप बनाए गए थे।

1. बेस कैंप- यह मुख्य कैंप था।

2. कैंप-1 −यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया। यह हिमपात के ठीक ऊपर था। इसमें सामान जमा था।

3. कैंप-2 −यह चढ़ाई के रास्ते में था।

4. कैंप-3 −इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढ़लान पर लगाया गया था। यह रंगीन नायलॉन से बना था। यहीं ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर आ गिरा था।

5. कैंप-4 −यह समुद्र तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर था। साउथ कोल स्थान पर लगने के कारण साउथ कोल कैंप कहलाया।

6. शिखर कैंप − यह अंतिम कैंप था। यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था।

पृष्ठ संख्या: 32

6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?

उत्तर

जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी। वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। लेखिका के सामने सुरक्षा का प्रश्न था। वहाँ फावड़े से बर्फ़ की खुदाई की गई ताकि स्वयं को सुरक्षित कर स्थिर किया जा सके।

7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है।

उत्तर

जब बचेंद्री अपने दल के सदस्यों के साथ साउथकोल कैंप पहुँची तो केवल वह अपने लिए नहीं सोच रही थी बल्कि अपने दल के प्रत्येक सदस्य के लिए सोच रही थी। लेखिका ने अपने साथियों के लिए जूस और चाय लेने के लिए तेज़ बर्फ़ीली हवा में भी नीचे उतरकर जोखिम भरा काम किया। इस व्यवहार से कार्य में उसके सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए  -

1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।

उत्तर

यह कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है। इन शब्दों का उल्लेख उन्होंने शेरपा कुली की मृत्यु के समाचार के बाद कहा था। उन्होंने सदस्यों के उत्साहवर्धन करते हुए अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित करना चाहा। एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोखिम भरा अभियान होता है। यहाँ इतने खतरे हैं कि कभी कभी मृत्यु भी हो सकती है। इसके लिए तैयार रहना चाहिए विचलित नहीं होना चाहिए।

2.  सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।

उत्तर

इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम विदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं और भी ज़्यादा खतरनाक बात तब होती है जब पता रहे कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता रहेगा ।

3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।

उत्तर

लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठ कर बर्फ़ पर अपना माथा लगाया और चुंबन किया। उसके बाद एक लाल कपड़े में माँ दुर्गा का चित्र और हनुमान चालीसा को लपेटा और छोटी से पूजा करके बर्फ़ में दबा दिया। इस रोमांचक यात्रा के सफलता पर वह बहुत खुश थी और सुख के क्षणों में उसने अपने माता पिता को याद किया। ।

भाषा अध्यन

1. इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए −

निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायज़ा लेना, नौसिखिया

उत्तर

1. निहारा है − यह पाठ एवरेस्ट की चोटी को बचेंद्री पाल ने निहारा है।

2. धसकना-खिसकना − ये दोनों शब्द हिम-खंडो के गिरने के संदर्भ में आए हैं।

3. सागरमाथा − नेपाली एवरेस्ट चोटी को सागरमाथा कहते हैं।

4. जायज़ा लेना − यह शब्द प्रेमचंद ने कैंप के परीक्षण निरीक्षण कर स्थिति के बारे में प्रयुक्त हुआ है।

5. नौसिखिया − बचेंद्री पाल ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए यह शब्द प्रयुक्त किया है।

2. निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए −

(क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए

(ख) क्या तुम भयभीत थीं

(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री

उत्तर

(क) उन्होंने कहा "तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए"।

(ख) क्या तुम भयभीत थीं?

(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बचेंद्री?

3. नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए −

उदाहरण : हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।

टेढ़ी-मेढ़ी

गहरे-चौड़े

आस-पास

हक्का-बक्का

इधर-उधर

लंबे-चौड़े

उत्तर

टेढ़ी-मेढ़ी − यह पगडंडी बहुत टेढ़ी-मेढ़ी है।

गहरे-चौड़े − वहाँ गहरे-चौड़े गड्ढे थे।

आस-पास − गाँव के आस-पास खेत हैं।

हक्का-बक्का −उसको वहाँ देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया।

इधर-उधर − इधर-उधर की बातें करना बंद करो।

लंबे-चौड़े − यहाँ बहुत लंबे-चौड़े मैदान हैं।

पृष्ठ संख्या: 33

4. उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए −

उदाहरण : अनुकूल − प्रतिकूल

|नियमित − |...................|

|आरोही − |...................|

|सुंदर − |...................|

|विख्यात − |...................|

|निश्चित − |...................|

उत्तर

|नियमित − |अनियमित |

|आरोही − |अवरोही |

|सुंदर − |असुंदर |

|विख्यात − |अविख्यात |

|निश्चित − |अनिश्चित |

5. निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए −

जैसे : पुत्र − सुपुत्र

वास व्यवस्थित कूल गति रोहण रक्षित

|वास − |प्रवास |

|व्यवस्थित − |अव्यवस्थित |

|कूल − |प्रतिकूल |

|गति − |प्रगति |

|रोहण − |आरोहण |

|रक्षित − |आरक्षित |

6.  निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए −

अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक

(क) मैं .............. यह कार्य कर लूँगा।

(ख) बादल घिरने के .............. ही वर्षा हो गई।

(ग) उसने बहुत ............... इतनी तरक्की कर ली।

(घ) नाङकेसा को .............. गाँव जाना था।

उत्तर

(क) मैं अगले दिन यह कार्य कर लूँगा।

(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।

(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।

(घ) नाङकेसा को सुबह तक गाँव जाना था।

पाठ का सार

प्रस्तुत लेख में बचेंद्री पाल ने अपने अभियान का रोमांचकारी वर्णन किया है कि 7 मार्च को एवरेस्ट अभियान दल दिल्ली से काठमांडू के लिए चला। नमचे बाज़ार से लेखिका ने एवरेस्ट को निहारा। लेखिका ने एवरेस्ट पर एक बड़ा भारी बर्फ़ का फूल देखा। यह तेज़ हवा के कारण बनता है। 26 मार्च को अभियान दल पैरिच पहुँचा तो पता चला कि खुंभु हिमपात पर जाने वाले शेरपा कुलियों में से बर्फ़ खिसकने के कारन एक कुली की मॄत्यु हो गई और चार लोग घायल हो गए। बेस कैंप पहुँचकर पता चला कि प्रतिकूल जलवायु के कारण एक रसोई सहायक की मृत्यु हो गई है। फिर दल को ज़रुरी प्रशिक्षण दिया गया। 29 अप्रैल को वे 7900 मीटर ऊँचाई पर स्थित बेस कैंप पहुँचे जहाँ तेनजिंग ने लेखिका का हौसला बढ़ाया। 15-16 मई, 1984 को अचानक रात 12:30 बजे कैंप पर ग्लेशियर टूट पड़ा जिससे कैंप तहस-नहस हो गया , हर व्यक्‍ति चोट-ग्रस्त हुआ। लेखिका बर्फ़ में दब गई थी। उन्हें बर्फ़ से निकाला गया। फिर कुछ दिनों बाद लेखिका साउथकोल कैंप पहुँची। वहाँ उन्होंने पीछे आने वाले साथियों की मदद करके सबको खुश कर दिया। अगले दिन वह प्रात: ही अंगदोरज़ी के साथ शिखर – यात्रा पर निकली। अथक परिश्रम के बाद वे शिखर – कैंप पहुँचे। एक और साथी ल्हाटू के आ जाने से और ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ जाने से चढ़ाई आसान हो गई। 23 मई , 1984 को दोपहर 1:07 बजे लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थी। वह एवरेस्त पर चढ़ने वाली पहली भारतीय  महिला थी। चोटी पर दो व्यक्तियों के साथ खड़े होने की ज़गह नहीं थी, उन्होंने बर्फ के फावड़े से बर्फ की खुदाई कर अपने आप को सुरक्षित किया। लेखिका ने घुटनों के बल बैठकर ‘सागरमाथे’ के ताज को चूमा। फिर दुर्गा माँ तथा हनुमान चालीसा को कपडे में लपेटकर बर्फ़ में दबा दिया। अंगदोरज़ी ने उन्हें गले से लगकर बधाई दी। कर्नल खुल्लर ने उन्हें बधाई देते हुए कहा – मैं तुम्हरे मात-पिता को बधाई देना चाहूँगा। देश को तुम पर गर्व है। अब तुम जो नीचे आओगी , तो तुम्हें एक नया संसार देखने को मिलेगा।

लेखक परिचय

बचेंद्री पाल

इनका जन्म सन 24 मई, 1954 को उत्तरांचल के चमोली जिले के बमपा गाँव में हुआ। पिता पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते थे। अत: बचेंद्री को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च सिलाई-कढ़ाई करके जुटाना पड़ा। विषम परिस्थितियों के बावज़ूद बचेंद्री ने संस्कृत में एम.ए. और फिर बी. एड. की शिक्षा हासिल की। बचेंद्री को पहाद़्ओं पर चढ़ने शौक़ बचपन से था। पढ़ाई पूरी करके वह एवरेस्ट अभियान – दल में शामिल हो गईं। कई महीनों के अभ्यास के बाद आखिर वह दिन आ ही गया , जब उन्होंने एवरेस्ट विजय के लिए प्रयाण किया।

कठिन शब्दों के अर्थ

• दुर्गम – जहाँ जाना कठिन हो

• ध्वज – झंडा

• हिम-स्खलन – बर्फ़ का गिरना 

• नेतॄत्व – अगुवाई 

• अवसाद – निराशा

• ज़ायजा लेना – अनुमान लेना

• हिम-विदर – बर्फ़ में दरार पड़ना 

• अंतत: - आखिरकार

• हिमपुंज – बर्फ़ का समूह

• उपस्कर – आरोही की आवश्यक सामग्री

• भुरभुरी – चूरा-चूरा टूटने वाली 

• शंकु – नोक

• रज्जु – रस्सी

NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - तुम कब जाओगे, अतिथि स्पर्श भाग-1 हिंदी

शरद जोशी 

पृष्ठ संख्या:39  

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिए। 

1.अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर 

अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है। 

2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

उत्तर

कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं।

पृष्ठ संख्या: 40

3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर

पति ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ गले मिलकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कहकर मेहमान का स्वागत किया।

4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?

उत्तर

दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी।

5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर

तीसरे दिन अतिथि ने धोबी से कपडे धुलवाने की बात कही।

6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त  होने पर क्या हुआ?

उत्तर

सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक डिनर से खिचड़ी पर आ गए।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर

लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे।

2. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए −

(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

(ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

(ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

(घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

(ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर

(क) जब लेखक ने अतिथि को  देखा था तब उन्हें लगा उनका खर्च बढ जायेगा इसलिए उनका बटुआ काँप गया यानी अत्यधिक खर्चे होने का एहसास हुआ।

(ख)  हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता समान माना गया है। परन्तु यही अतिथि जब ज्यादा दिन रह जाए तो वह बोझ लगने लगता और थोड़े अंशो में राक्षस प्रतीत होता है।

(ग) हर व्यक्ति अपने घर को सजाता है, सुख शान्ति स्थापित करता है। अपने घर को स्वीट होम बनाता है। लेकिंग जब कोई अनचाहा व्यक्ति आकर रहने लगता है तो वह  स्वीटनेस को काटने दौड़ने जैसा लगता है।

(घ) अतिथि लेखक के घर पर चार दिनों से रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर गेट आउट बोलने में देर नही लगाएगा।

(ड़ ) हम अतिथि को देवता मानते हैं इसलिए लेखक अपने अतिथि को बताना चाह रहा कि देवता और मनुष्य कभी एक साथ हैं। आप कृपा कर हमारे कर हमारे घर से प्रस्थान करें।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए -

1. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर

तीसरे दिन जब अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था चूँकि उन्हें लगा था वे चले जाएंगे। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी।

2.'संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना' −इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर

'संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना' − इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे।

3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर

जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। लंच डिनर अब खिचड़ी पर आ गए। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को 'गेट आउट' तक कहने के लिए भी तैयार हो गया।

भाषा अध्यन

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए −

|चाँद |ज़िक्र |आघात |ऊष्मा |अंतरंग |

उत्तर

चाँद − राकेश, शशि, रजनीश

ज़िक्र − उल्लेख, वर्णन

आघात − हमला, चोट

ऊष्मा − गर्मी, घनिष्ठता, ताप

अंतरंग − घनिष्ठ, आंतरिक

2. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए −

|(क) |हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य) |

| |....................................................................... |

|(ख) |किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य) |

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|(ग) |सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल) |

| |....................................................................... |

|(घ) |इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची) |

| |....................................................................... |

|(ङ) |कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक) |

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उत्तर

|(क) |हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य) |

| |हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे। |

|(ख) |किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य) |

| |किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे? |

|(ग) |सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल) |

| |सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी। (भविष्यत् काल) |

|(घ) |इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची) |

| |इनके कपड़े यहाँ देने हैं। |

|(ङ) |कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक) |

| |ये अब नहीं टिकेंगे। |

| | |

| |पाठ का सार |

| | |

| |लेखक के घर पर एक अतिथि चार दिनों से रह रहा है जिसे देखते हुए वे कहते हैं कि हे अतिथि ! तुम्हें देखते ही मेरा बटुआ काँप गया था। फिर भी हमने भरसक मुस्कान के साथ |

| |तुम्हारा स्वागत किया था। रात के भोजन को मध्यम- वर्गीय डिनर जैसा भारी-भरकम बना दिया था। सोचा था कि तुम सुबह चले जाओगे। पर ऐसा नहीं हुआ। तुम यहाँ आराम|

| |से सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे हो। उधर मैं तुम्हारे सामने कैलेण्डर की तारीखें बदल-बदलकर तुम्हें जाने का संकेत दे रहा हूँ। तीसरे दिन तुमने कपड़े धुलवाने की फ़रमाइश की। कपड़े |

| |धुलकर आ गए लेकिन तुम नहीं गए। पत्नी ने सुना तो वह भी आँखें तरेरने लगी। चौथे दिन कपड़े धुलकर आ गए , फिर भी तुम डटे हुए हो। बातचीत के सभी विषय समाप्त हो गए |

| |हैं। दोनों अपने अपने में मग्न होकर पढ़ रहे हैं, सौहार्द समाप्त हो चला है। भावनाएँ गालियाँ बनती जा रही हैं। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो चुकी है, अब भोजन में खिचड़ी|

| |बनने लगी है। घर को स्वीट होम कहा गया है , पर तुम्हारे होने से घर का स्वीटनेस खत्म हो गया है। अब तुम चले जाओ वर्ना मुझे ‘ गेट आउट ’ कहना पड़ेगा।यदि तुम अपने |

| |आप कल सुबह चले न गए तो मेरी सहनशीलता जवाब दे जाएगी। माना तुम देवता हो किंतु मैं तो आदमी हूँ। मनुष्य और देवता ज़्यादा देर साथ नहीं रह सकते। इसलिए अपना |

| |देवत्व सुरक्षित रखना चाहते हो तो अपने आप विदा हो जाओ। तुम कब जाओगे , अतिथि ? |

| | |

| |लेखक परिचय |

| | |

| |शरद जोशी |

| | |

| |इनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में 21 मई 1931 को हुआ। इनका बचपन कई शहरों में बिता। कुछ समय तक यह सरकारी नौकरी में रहे फिर इन्होने लेखन को ही आजीविका|

| |के रूप में अपना लिया। इन्होंने व्यंग्य लेख , व्यंग्य उपन्यास , व्यंग्य कॉलम के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे। सन  1991 में इनका|

| |देहांत हो गया। |

| | |

| |प्रमुख कार्य |

| | |

| |व्यंग्य-कृतियाँ - परिक्रमा , किसी महाने , जीप पर सवार इल्लियाँ , तिलस्म , रहा किनारे बैठ , दूसरी सतह , प्रतिदिन। |

| |व्यंग्य नाटक: अंधों का हाथी और एक था गधा। |

| |उपन्यास - मैं,मैं,केवल मैं, उर्फ़ कमलमुख बी.ए.। |

| | |

| |कठिन शब्दों के अर्थ |

| | |

| |• निस्संकोच – बिना संकोच के |

| |• सतत – लगातार |

| |• आतिथ्य – आवभगत |

| |• अंतरंग – घनिष्ठ या गहरा |

| |• छोर – किनारा  |

| |• आघात – चोट  |

| |• मार्मिक – हृदय को छूने वाला |

| |• भावभीनी – प्रेम से ओतप्रोत  |

| |• अप्रत्याशित – आकस्मिक |

| |• सामीप्य – निकटता |

| |• कोनलों – कोनों से  |

| |• ऊष्मा – गरमी  |

| |• संक्रमण – एक स्थिति या अवस्था से दूसरी में प्रवेश  |

| |• निर्मूल – मूल रहित  |

| |• सौहार्द – मैत्री  |

| |• गुँजायमान – गूँजता हुआ  |

| |• एस्ट्रॉनाट्‍स – अंतरिक्ष यात्री | ................
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